NEWS Leaders : पंचायत चुनाव पर दुविधा, संशोधन याचिका की तैयारी, सीएम ने क्यों की विदेश यात्रा रद्द? चुनाव होगें या नहीं बड़ा सवाल? विशेषज्ञों की राय जानिये
“मेरा दिनांक 14 मई से मध्यप्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए विदेश प्रवास तय था, किंतु इस समय न्यायालय में पुनः अपना पक्ष रखना तथा पिछड़ा वर्ग के हितों का संरक्षण करना मेरी प्राथमिकता है। इसलिए मैं अपनी प्रस्तावित विदेश यात्रा निरस्त कर रहा हूं।” सीएम शिवराज ने कहा,
मप्र सरकार पंचायत चुनाव पर दुविधा में, मामला पेचिदा, चुनाव होगें या नहीं बड़ा सवाल? विशेषज्ञों की राय जानिये
न्यूज़ लीडर्स डेस्क
मप्र की सरकार पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही कार्रवाई को लेकर जितनी आश्वस्त थी, उसके निर्णय ने शिवराज सरकार बैकफुट पर आ गई है।मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस रवि कुमार की पीठ ने यह फैसला सुनाया।
▪︎सुप्रीम कोर्ट की सरकार को दो टूक.》
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्यप्रदेश में पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव कराए जाने को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि हम पहले कह चुके हैं कि ट्रिपल टेस्ट के बिना ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता। राज्य सरकार के पिछड़ा वर्ग आयोग ने जो रिपोर्ट रखी है, वह प्रिविलेज स्टेज में है।
▪︎निर्वाचन आयोग अधिसूचना कि तैयारी में.》
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन ने चुनाव कराने की तैयारी में है। आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने कहा कि कोर्ट ने चुनाव कराने को कहा है। दो सप्ताह का समय अधिसूचना जारी करने के लिए काफी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करेंगे।
▪︎आयोग की बुधवार को होगी बैठक.》
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कोर्ट के फैसले के बाद बुधवार को निर्वाचन से जुड़े पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है जिसमें पंचायत चुनाव कराए जाने की तैयारियों पर चर्चा होगी।
“सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राजनीतिक दल चाहते हैं ओबीसी उम्मीदवार चुनाव लड़ें तो जिन वार्डों में ओबीसी की संख्या ज्यादा है, वहां सामान्य सीट पर ओबीसी उम्मीदवारों को लड़ाएं चुनाव।”
▪︎कोर्ट का यह आदेश देश पर लागू.》
कोर्ट के निर्णय ने साफ कर दिया कि यह आदेश न केवल मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तक सीमित है, बल्कि शेष राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों पर भी लागू होगा। राज्य निर्वाचन आयोग के सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने कहा की,सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला मील का पत्थर साबित होगा। यह फैसला केवल मप्र ही नहीं महाराष्ट्र के साथ ही पूरे देश में लागू होगा।
▪︎मप्र सरकार रिव्यू पिटिशन की ओर.》
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का परीक्षण किया जाएगा। पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनावों में ओबीसी को आरक्षण मिले इसके लिए रिव्यू पिटीशन दाखिल की जाएगी। मध्यप्रदेश सरकार के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से फैसले को मोडिफाई और क्लेयरिफिकेशन का आग्रह करेंगे। इस बारे में अंतिम फैसला जल्दी ही लिया जाएगा।
▪︎कोर्ट के फैसले को लेकर विशेषज्ञयों का मत.》
◇_वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा कहते है,
सरकार को सुप्रीम कोर्ट को यह बताना होगा कि जजमेंट में कौन सी संवैधानिक ऋुटि है। जजमेंट कानून की कहां अनदेखी हुई है। रिव्यू की गुंजाइश बहुत कम है।
◇_उज्जवल निकम, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा,
सरकार के पास रिव्यू का स्कोप है। कोर्ट को लगता है तो उसे रिवाइज कर सकती है, लेकिन 99.9% मामलों में रिव्यू पिटीशन खारिज होती है। जहां चुनाव की बात है तो इसे सरकार नहीं रोक पाएगी।
◇_जस्टिस एनके जैन, रिटायर्ड ने कहा,
राज्य निर्वाचन आयोग को दो हफ्ते में अधिसूचना जारी करना होगी। सरकार रिव्यू पिटीशन में जा सकती है। स्वीकार होगी या नहीं यह सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर करेगा। वर्तमान स्थिति में तो चुनाव कराने होंगे।
◇_जस्टिस अभय गोहिल, रिटायर्ड ने कहा,
कोर्ट के आदेश के अनुसार पंचायतों के चुनाव करवाना होगा। रिव्यू में यह देखा जाता है कि जजमेंट कोई बात छोड़ी तो नहीं है। राज्य सरकार फ्री है वह रिव्यू पिटीशन में जा सकती है।
◇_जस्टिस एनके मोदी, रिटायर्ड ने कहा,
सरकार रिव्यू पिटीशन दायर कर सकती है, लेकिन दुर्लभ मामलों में ही शीर्षतम कोर्ट अपने निर्णय पर पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करता है। ओबीसी आरक्षण मामले में इसकी संभावना कम है।
▪︎और अंत में.》
मप्र की शिवराज सरकार को हाल-फिलहाल राहत के आसार नहीं दिख रहे है, उसे ओबीसी के बिना ही चुनाव कराने की और जाना होगा, हालांकि वह विधानसभा में आरक्षण के साथ चुनाव कराने का वचन दे चुके थे पर कोर्ट के निर्णय ने उनकी उम्मीद पर पानी फेर दिया है। अब केवल रिव्यू पिटिशन उनकी अंतिम आशा है।