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Newsleaders : अंजड़ में 108 एंबुलेंस की लेटलतीफ़ी पर लोगों का अनोखा विरोध, देर से पहुंची एंबुलेंस का फूलों से स्वागत

Newsleaders : अंजड़ में 108 एंबुलेंस की लेटलतीफ़ी पर लोगों का अनोखा विरोध, देर से पहुंची एंबुलेंस का फूलों से स्वागत

न्यूज लीडर्स : बड़वानी

बड़वानी जिले के अंजड़ में 108 एंबुलेंस की लेटलतीफ़ी और लापरवाही से नाराज़ ग्रामीणों ने मंगलवार को अनोखे तरीके से विरोध दर्ज कराया। घायलों को लेने देर से पहुंची एंबुलेंस के पायलट और ईएमटी का ग्रामीणों ने फूलों, पुष्पहार और नारियल देकर स्वागत किया—जिससे व्यवस्था पर तंज कसते हुए प्रशासन को मजबूत संदेश दिया गया।

बड़वानी जिले के अंजड़ में 108 एंबुलेंस सेवा की लगातार हो रही लापरवाही और देरी के मामलों ने लोगों का धैर्य जवाब दे दिया है। स्थानीय निवासी गिरीश चौहान के अनुसार, जिले में एंबुलेंस कभी समय से पहुंचती ही नहीं, और कई बार तो बुलाने के बाद भी एंबुलेंस मौके पर नहीं आती। इससे दुर्घटनाग्रस्त या बीमार लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाने में गंभीर दिक्कत होती है।
गिरीश चौहान ने बताया कि हाल ही में इसी लापरवाही के कारण एक नवजात शिशु की मौत भी हो चुकी थी। लोगों का मानना है कि यदि सेवा प्रदाता समयबद्ध तरीके से कार्य नहीं करते, तो ऐसी घटनाएँ लगातार बढ़ती ही जाएँगी।

●》देर से पहुंचने वाली एंबुलेंस का अनोखा स्वागत.》》

मंगलवार को हुई बाइक दुर्घटना में पाँच युवक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इनमें से दो घायलों को स्थानीय लोगों ने तुरंत निजी मारुति वैन से जिला अस्पताल भेजा। वैन में पीछे का दरवाज़ा न होने के बावजूद घायलों को स्टेचर सहित किसी तरह लादकर ले जाया गया।

उधर, शेष तीन घायलों को लेने के लिए बड़वानी से 108 एंबुलेंस (क्रमांक CJ 04 NR 7743) पहुंचने में लगभग एक घंटे की देरी हुई। जब एंबुलेंस मौके पर पहुँची, तो ग्रामीणों ने पायलट दीपेश उजले और ईएमटी भीकू सिंह चौहान का गांधीवादी अंदाज़ में स्वागत किया। उन्हें फूल पहनाए गए और श्रीफल भेंट किया गया।

ग्रामीणों का कहना है कि
“सरकार को बार-बार शिकायतों के बाद भी 108 सेवा प्रदाता अपने रवैये में सुधार नहीं कर रहे। हमारा यह गांधीवादी स्वागत शायद सिस्टम को जगाने का काम करे।”

• अंजड़ और बड़वानी क्षेत्र में 108 एंबुलेंस के बार-बार देर से पहुंचने की शिकायतें लंबे समय से उठती रही हैं।
• ग्रामीण इलाकों में एंबुलेंस का नेटवर्क कमजोर है, कई बार वाहनों की कमी और तकनीकी खराबियाँ दिखाई देती हैं।
• जिले के स्वास्थ्य विभाग को कई बार प्रस्ताव भेजे गए हैं कि एंबुलेंस कवरेज और प्रतिक्रिया समय (Response Time) सुधारा जाए।
• स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी कई बार इस मुद्दे को जिला प्रशासन के समक्ष उठाया है।

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