Newsleaders : राष्ट्रीय प्रेस दिवस इतिहास और महत्व के साथ प्रेस के वर्तमान हालात, लीडर्स से जानिए

Newsleaders : राष्ट्रीय प्रेस दिवस इतिहास और महत्व के साथ प्रेस के वर्तमान हालात, लीडर्स से जानिए
न्यूज लीडर्स विशेष
राष्ट्रीय प्रेस दिवस हर साल 16 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 16 नवंबर, 1966 को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की शुरुआत हुई थी। प्रेस काउंसिल भारत में प्रेस की स्वतंत्रता, नैतिकता और जिम्मेदारी की निगरानी करने वाला एक “नैतिक प्रहरी” संस्था है।
प्रेस को लोकतंत्र का “चौथा स्तंभ” माना जाता है। प्रेस स्वतंत्रता लोकतांत्रिक शासन के लिए बहुत जरूरी है।

“आज का दिन सिर्फ एक समारोह नहीं, बल्कि अवसर है। यह अवसर है मीडिया-स्वतंत्रता, पत्रकारिता की जिम्मेदारी, तथा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में प्रेस के महत्व को फिर से समझने का। इस वर्ष हम देखते हैं कि मीडिया को बदलते युग के साथ तालमेल बैठाना है, नए प्लेटफॉर्म में अपनी विश्वसनीयता रखना है और समाज-जन को सही सूचना-ज्ञान देने में अग्रणी होना है”
●》प्रेस की पृष्ठभूमि और वर्तमान हालात.》》
▪︎ थीम और विमर्श,
पिछली रिपोर्ट (2024 के अनुसार, प्रेस काउंसिल ने प्रेस की बदलती प्रकृति को इस वर्ष की थीम के रूप में चुना है। यह थीम इसलिए ज़रूरी है क्योंकि मीडिया परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तकनीकों का प्रभाव बढ़ा है, और पत्रकारिता की चुनौतियाँ नई हो रही हैं।
▪︎ समारोह और पुरस्कार,
राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर प्रेस काउंसिल राष्ट्रीय पत्रकारिता उत्कृष्टता पुरस्कार भी देती है, जिससे पत्रकारों को उनकी बेहतरीन रिपोर्टिंग के लिए सम्मान मिल सके।

●》चुनौतियाँ और चिंता के मुद्दे.》》
▪︎ स्वतंत्रता और दबाव,
लोकतंत्र में प्रेस की आज़ादी महत्वपूर्ण है, लेकिन उसे बाहरी दबाव, सेंसर्शिप, या राजनीतिक हस्तक्षेप का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस इस बात की याद दिलाता है कि प्रेस को न केवल स्वतंत्र होना चाहिए, बल्कि जिम्मेदार भी होना चाहिए।
▪︎ आर्थिक और व्यावसायिक दबाव,
मीडिया हाउसेस पर आर्थिक दबाव बढ़ा है। खासकर डिजिटल मीडिया के बढ़ने के बाद पारंपरिक अख़बारों और प्रकाशनों का राजस्व घट सकता है, जिससे उनकी स्वतंत्रता और रिपोर्टिंग की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।
▪︎ नैतिकता और सच्चाई,
प्रेस काउंसिल की भूमिका नैतिक पत्रकारिता सुनिश्चित करने की है। गलत सूचना, पक्षपात, और संवेदनशील रिपोर्टिंग में असंतुलन रोकने में यह एक महत्वपूर्ण संस्था है।
▪︎ तकनीकी चुनौतियाँ,
एआई, सोशल मीडिया, फेंक न्यूज जैसी चीज़ें पत्रकारिता के तरीके बदल रही हैं। कैसे प्रेस इन नई चुनौतियों से निपटे, यह एक गहरी चर्चा का विषय है, जैसा कि “प्रेस की बदलती प्रकृति” थीम में दिखा है।

●》निष्कर्ष और संदेश.》》
राष्ट्रीय प्रेस दिवस सिर्फ उत्सव का दिन नहीं है; यह रीफ्लेक्शन का दिन है कि प्रेस लोकतंत्र में क्या भूमिका निभा रही है, और उसे और कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। देशभर में पत्रकारों, मीडिया हेड्स, नीति निर्माता और नागरिक इस दिन मिलकर प्रेस की आज़ादी और जिम्मेदारी पर चर्चा करते हैं।
प्रेस काउंसिल की रिपोर्ट और पुरस्कार समारोह इस बात को दर्शाते हैं कि प्रेस की स्वतंत्रता के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता और नैतिकता का भी महत्व है।
वर्तमान समय में, प्रेस को नई चुनौतियों जैसे डिजिटल ट्रांसफार्मेशन, आर्थिक दबाव, और तकनीकी बदलाव का सामना करना पड़ रहा है, और राष्ट्रीय प्रेस दिवस इन मुद्दों को सामने लाने का एक मंच है।




