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Newsleaders : जयस का अर्धनग्न प्रदर्शन, FIR की मांग, चक्काजाम की चेतावनी, गुस्साए युवा आदिवासी

Newsleaders : जयस का अर्धनग्न प्रदर्शन, FIR की मांग, चक्काजाम की चेतावनी,

• इंदौर MYH विवाद : नवजात शिशु मौत पर आदिवासी संगठन का बड़ा प्रदर्शन.
• अर्धनग्न प्रदर्शन से जुड़ी मांगें: JAYS ने की एफआईआर की मांग.
• स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल, उच्च न्यायालय ने लिया संज्ञान.

न्यूज लीडर्स इंदौर

इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल में दो नवजात आदिवासी शिशुओं की चूहे के काटने से हुई मौत के विरोध में जय आदिवासी युवा शक्ति, जयस के कार्यकर्ताओं ने अर्धनग्न प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने इंदौर में विरोध प्रदर्शन कर रैली निकालकर अस्पताल के मुख्य द्वार पर इकट्ठा होकर विरोध जताया और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

●》मांग पुरी न होने पर चक्काजाम की चेतावनी.》》

जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा ने कहा, हमारी मांगें पूरी नहीं होने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने उचित कार्रवाई नहीं की, तो वे राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध करेंगे।

●》उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया.》》

आपको बता दे, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है और राज्य सरकार से पूछा है कि अब तक एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई। न्यायालय ने अस्पताल के बुनियादी ढांचे के बारे में भी जानकारी मांगी है।

●》घटना का विवरण.》》

31 अगस्त और 1 सितंबर 2025 की रात को महाराजा यशवंतराव अस्पताल के नवजात गहन चिकित्सा कक्ष में दो नवजात शिशुओं के अंगों पर चूहे के काटने के निशान पाए गए। इनमें से एक शिशु की अंगुलियों के चार अंग पूरी तरह से कुतरे गए थे, जो उसके अंतिम संस्कार के समय सामने आए।

“इस घटना ने आदिवासी समुदाय में गहरी नाराजगी और आक्रोश भी पैदा किया है”

अस्पताल प्रशासन ने प्रारंभ में इन घटनाओं को मामूली बताया और कहा कि शिशुओं की मौत जन्मजात विकृतियों के कारण हुई। हालांकि, परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल ने चूहों के काटने की जानकारी छिपाई और उन्हें गुमराह किया।

●》शासन की और से कार्रवाई.》》

मध्य प्रदेश सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अस्पताल का दौरा किया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। अस्पताल प्रशासन ने दो नर्सिंग अधिकारियों को निलंबित किया, एक नर्सिंग अधीक्षक को हटा दिया और पेडियाट्रिक सर्जरी प्रमुख और नर्सिंग अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

“इसके बावजूद, आदिवासी समुदाय और विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि सरकार अस्पताल प्रशासन को बचाने की कोशिश कर रही है और दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं कर रही।”

●》आदिवासी समुदाय का लगातार विरोध.》》

इस घटना के बाद आदिवासी संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति जयस ने 22 सितंबर 2025 को अस्पताल के मुख्य द्वार पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया। आदिवासी संगठन ने अस्पताल के डीन डॉ. अरविंद घंगोरिया और अधीक्षक डॉ. अशोक यादव को निलंबित करने और उनके खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करने की मांग की।

“प्रशासन ने कुछ अधिकारियों को निलंबित किया, लेकिन उच्च न्यायालय ने एफआईआर न होने पर सवाल उठाए हैं”

धरने में 2,000 से अधिक लोग शामिल हुए, जिनमें शिशुओं के परिजन भी शामिल थे। जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा ने कहा, जब तक डीन और अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

●》और अंत में.》》

इस घटना ने न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि आदिवासी समुदाय की आवाज़ों को अक्सर अनसुना किया जाता है। जब तक शासन और प्रशासन दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करते, तब तक ऐसे आंदोलनों का जारी रहना स्वाभाविक है।

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