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NEWS Leaders Khargone : आज़ादी के दीवाने : गांधीजी के सान्निध्य में रहकर सीखी बापू की कार्य पद्धति

आज़ादी के दीवाने : गांधीजी के सान्निध्य में रहकर सीखी बापू की कार्य पद्धति

“आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने को है। ये 75 वर्ष हमारे लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की अनमोल भेंट है। इस भेंट को हम अपने-अपने घरों पर आजादी के प्रतीक तिरंगे को लहराकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान कर सकते है।”

आजादी के इस अमृत महोत्सव में हम उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद कर रहे है। आज एक ऐसे सेनानी की बात करते है जिन्होंने जीवन भर गांधीजी से सीखी बातों को जीवन भर मूर्त रूप दिया है। हम बात कर रहे हैं श्री भंवरलालजी भट्ट ‘मधुप‘ की,

● गांधीजी के सान्निध्य में रहकर सीखी बापू की कार्य पद्धति.》》

देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने की भावना के साथ भंवरलाल भट्ट ‘मधुप’ 1935-36 में वर्धा आश्रम गए। यहां लगभग 4 वर्ष रहे और बापू की कार्य पद्धति, मितव्ययता, समय का मूल्य और राष्ट्रीय वस्तुओं के प्रति प्रेम आदि अनेक बातें गाँधीजी से सीखी और जीवन भर मूर्त रूप दिया। वर्धा से वापस आने के बाद आपने मासिक पत्रिका वाणी का सम्पादन किया।

● खरगोन में चलाया स्वतंत्रता संग्राम का आंदोलन.》》

1942 में जब गाँधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन का नारा दिया तो खरगोन में भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री खोड़े और मधुप जी के नेतृत्व में प्रारम्भ हुआ। इस आंदोलन में आपने गैर कानूनी भाषण की पुस्तिकाएं हाथों से लिखकर व साइक्लोस्टाइल करके ग्रामीण क्षेत्रो में वितरित करवाई। इसके बाद निमाड़ के सनावद, सेंधवा, मण्डलेश्वर, महेश्वर और भीकनगांव में भी आंदोलन प्रारम्भ हो गए। इसके परिणाम स्वरूप आपको गिरफ्तार करके सेंधवा जेल भेज दिया गया। यहाँ से खुर्रमपुरा, मण्डलेश्वर, मानपुर के बाद सेंट्रल जेल इंदौर में रखा गया। 8 माह 16 दिन कारावास के बाद आप रिहा होकर गरोठ जिले में काम करने लगे।

● और अंत में.》》

भंवरलाल जी भट्ट का जन्म 4 जनवरी 1903 को रामपुरा में हुआ था। जिनके दादाजी श्री लक्ष्मण अमर संस्कृत, काव्य, वैदिक और ज्योतिष धर्मशास्त्र के प्रकांड विद्वान थे।बाल्यकाल में ही माता-पिता का साया सिर से उठ जाने से मधुपजी पितामह के पास ही रहे।

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