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NEWS Leaders : अपरवेदा बांध का जलस्तर मेंटेन के लिए खोला गेट, बंद नहीं होने से नदी में आई बाढ, इलाकों में अलर्ट जारी, शाम को गेट बंद से स्थिति सामान्य

न्यूज लीडर्स : खरगोन

खरगोन जिले में अपरवेदा बांध में जलस्तर को मेंटेनेंस करने के लिए गेट खोला गया। जिससे नदी उफान पर आ गई। ऐसे में बाढ़ जैसे हालात होने पर निचले इलाकों में प्रशासन ने अलर्ट जारी किया। वहीं इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को देते हुए अधिकारियों द्वारा निचले इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया।

“गौरतलब है की मध्य प्रदेश में मानसून का दौर जारी है। ऐसे में प्रदेश के सभी छोट-बड़े बांध में जलस्तर बढ़ गया है। जलस्तर बढ़ने से लगातार नदियाें में पानी छोड़ा जा रहा है।”

▪︎》》जलस्तर मेंटेनेंस के लिए खोले गेट ने पैदा की समस्या.》》

दरअसल, भीकनगांव झिरन्या क्षेत्र के अपरवेदा बांध में जलस्तर को मेंटेनेंस करने के लिए गेट नंबर 3 को खोला गया था। जलस्तर सामान्य होने के बाद जब गेट को बंद करने की कोशिश की तो पानी के प्रेशर के कारण गेट बंद नहीं हुए। ऐसे में लगातार बांध का पानी नदी में जाने से जलस्तर बढ़ गया। जलस्तर बढ़ने से नदी में बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो गए है।

▪︎》》गेट शाम 6 बजे बंद होने में सफल हुआ विभाग.》》

विषम स्थिति में लगातार कोशिश करने के बाद गेट नंबर 3 को बंद करने में सफलता मिली। जिसके चलते विभागीय अधिकारियों ने चैन की सांस ली।
क्षेत्र में पिछले चार दिन से हो रही बारिश के चलते अपर अपरवेदा परियोजना का जलाशय लबालब हो गया।
फलस्वरूप रविवार रात 9 से दूसरे दिन सोमवार सुबह 6 बजे (कुल 9 घंटे) तक एक गेट खोला गया और अतिरिक्त पानी की निकासी कर जलस्तर 316.40 मीटर तक नियंत्रित किया गया। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार जलस्तर अधिकतम 317 मीटर निर्धारित किया गया है।

▪︎》》प्रशासन की और से आई सफाई.》》

परियोजना के कार्यपालन यंत्री आरएस गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष बारिश की कमी से धीरे-धीरे जल संग्रहित हो रहा था। 9 सितंबर तक जलस्तर 315 मीटर तक ही पहुंच सका था। पिछले वर्ष इस अवधि तक जलस्तर 316.62 मीटर था। 10 से 14 सितंबर तक 101 मिमी दर्ज हुई बारिश से जलाशय का जलस्तर 316.40 मीटर तक पहुंच गया है।

अनुविभागीय अधिकारी संदीप शर्मा के अनुसार इस वर्ष अवर्षा से 31 अगस्त तक जलस्तर 314.15 मीटर तक ही पहुंचा था। पिछले वर्ष अच्छी बारिश होने से इस अवधि में ही जलस्तर 316.48 मीटर से अधिक पहुंच गया था। कई बार गेट खोलकर अतिरिक्त पानी को वेदा नदी में छोड़ा गया था।

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