NLS स्पेशल

NEWS Leaders : मप्र कांग्रेस के नेता अरुण यादव का क्या है सियासी सूचकांक?

मप्र कांग्रेस के नेता अरुण यादव का क्या है सियासी सूचकांक?

न्यूज़ लीडर्स

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अभी से ही 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर एक्शन मोड में हैं। जैसे जैस विधान सभा और लोक सभा चुनाव नजदीक आ रहे है। कांग्रेस हाईकमान तैयारियों में जुट गया है। इस बार हाईकमान प्रदेश के उन नेताओं को साधने में लगा है जो अपने ही प्रदेश में क्षत्रपों की उपेक्षा का शिकार है। इस दिशा में मप्र के उपेक्षित नेताओं ने बारी-बारी सोनिया गांधी से मुलाकात कर अपनी मौजूदा उपेक्षित स्थिति से अवगत करवाया है। जिसका असर अब मप्र में देखने को मिलने लगा है।

जी हां प्रदेश की सियासत में सबसे उपेक्षित अरुण यादव की पूछ-परख बढ़ गई है, कमलनाथ शिवराज के क्षेत्र गये तो अपने साथ अरुण यादव को लेकर गये। क्योंकी अरुण यादव शिवराज के सामने विधानसभा चुनाव लड़े थे।
वहीं बीते दिनों अरुण यादव उस बैठक में भी बुलाये गये जो कमलनाथ के घर प्रदेश के 6 बड़े नेताओं की थी।
उसके बाद अरुण यादव प्रदेश कांग्रेस के दफ्तर में उन दो महत्वपूर्ण बैठको में शामिल रहे, जिसमें प्रदेश के सहकारिता नेताओं की बैठक थी। उसके बाद ओबीसी की बैठक में भी अरुण यादव की उपस्थिति उनके ओबीसी वर्ग के होने से सियासी ताकत दिखा रही थी।
बताते है ओबीसी सम्मेलन में अरुण यादव के तेवर तिखे थे जो मप्र में आबादी के हिसाब से राजनीति ओबीसी दखलंदाजी चाहते है।

लगातार इस सियासी घटनाक्रम के बाद सोनिया गांधी की किसानों और कृषि को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बनी 9 सदस्यीय समिति में मप्र से अकेले अरुण यादव को लिया जाना भी अरुण यादव की राजनीति में बढ़ती पूछ-परख की पुष्टि करती है। इस नियुक्ती पर अरुण यादव ने स्वयं सोशल मीडिया पर श्रीमती सोनिया गांधी का आभार माना है।

वहीं मप्र कांग्रेस के नेता अरुण यादव का क्या है सियासी सूचकांक ? एक बड़ा सवाल है, जब अरुण यादव एक लंबी राजनीति खामोशी के बाद खंडवा लोकसभा के उपचुनाव में सक्रिय दिखे तो कमलनाथ ने उन्हे सर्वे में कमजोर उम्मीदवार कह कर चुनाव न लड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। हालांकि अरुण यादव की समय-समय पर दल बदलने की अफवाह को वह खारिज करते हुए वाबस्ता कांग्रेस के साथ खड़े दिखे।

बावजूद इसके अरुण यादव अपनी खामोश मिजाजी को तौड़ते हुए स्वयं को प्रमाणित करने के लिए उन्होने अपने भोपाल स्थित निवास पर होली मिलन समारोह कर प्रदेश के कांग्रेसजनों को यह संदेश दिया की ‘टाईगर अभी जिंदा है’।

बात आगे बढ़ी तो अरुण यादव पहुंच गये सीधे सोनिया के दरबार में, सियासत का पासा वहीं से पलटा, अरुण यादव की राजनीति पनौती उतरी और वह फिर से कई संदेशों के साथ तरोताजा नज़र आने लगे।
अरुण यादव प्रदेश के इकलौते कांग्रेसी नेता है जिनके पास कई सियासी खिताब है, पहली नज़र में वह कम उमर के प्रदेश के नेता है जो मप्र काग्रेस के अध्यक्ष, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और दो बार के लोकसभा सदस्य रह चुके है। हालांकि वह लगातार तीन चुनाव हारने वाले नेता भी है।

वह पिछड़े वर्ग से है जिस वर्ग की मप्र में 52% आबादी है। इसके साथ वह किसान नेता है, जो मप्र कृषक समाज के अध्यक्ष भी है। इतनी खूबियों के साथ अरुण यादव अब नई पारी लड़ने को तैयार दिख रहे है। हाल-फिलहाल उनकी नज़र मप्र से राज्यसभा में जाने की हो सकती है पर डगर कठीन लगती है। वैसे वह फिर एक बार खंडवा लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय हुऐ है और अपने कार्यकर्ताओं के यहां शादी-विवाह और सुख-दुख में पहुंच रहे है। लेकिन अरुण यादव के सियासी सूचकांक को लेकर अंत में इतना कहा जा सकता है की उनके राजनीति भविष्य को लेकर कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगा।

News Leaders

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Don`t copy text!