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Newsleaders : सूर्य को जल अर्पण करती निष्ठा के साथ नदी किनारे झुकी आस्था ही छठ महापर्व का संदेश है

Newsleaders : सूर्य को जल अर्पण करती निष्ठा के साथ नदी किनारे झुकी आस्था ही छठ महापर्व का संदेश है

न्यूज लीडर्स विशेष

यह चार दिवसीय व्रत छठ महापर्व पर सूर्य और छठी मइया की आराधना, नहाय-खाय से उगते सूर्य तक चलता है। 

इस छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होकर खरना, संध्या अर्घ्य और प्रातः अर्घ्य तक होती है। व्रती महिलाएं पूरे संयम और श्रद्धा से सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। यह पर्व शुद्धता, अनुशासन और कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है।

सूर्योपासना और तप की साधना से जुड़ा छठ महापर्व आज श्रद्धा, अनुशासन और आस्था का अद्भुत संगम बन गया है। इस पर्व का संदेश है

“प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और आत्मशुद्धि ही सच्ची पूजा है।”

छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित लोक आस्था का महान पर्व है। यह चार दिनों तक मनाया जाता है.

●》नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और प्रातः अर्घ्य.》》

पहले दिन शुद्धता के साथ स्नान और सात्विक भोजन किया जाता है, दूसरे दिन उपवास और गुड़-खीर का प्रसाद अर्पित होता है। तीसरे दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं, तो चौथे दिन उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत का पारण करते हैं।
छठ पूजा में कोई मूर्तिपूजा नहीं होती, बल्कि प्रकृति, जल, वायु और प्रकाश की आराधना की जाती है।

“वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह पर्व शरीर की जैविक घड़ी को संतुलित करता है और सूर्य की ऊर्जा से जीवनशक्ति बढ़ाता है”

आस्था, अनुशासन और परिवारिक एकता का यह अनोखा उत्सव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों का प्रतीक है। सूर्योपासना, शुद्धता और तप का प्रतीक यह पर्व हमें सिखाता है कि प्रकृति ही जीवन हैआस्था ही ऊर्जा है।

●》और अंत में.》》

सूर्य को जल अर्पण करती निष्ठा के साथ नदी किनारे झुकी आस्था ही छठ महापर्व का संदेश है।

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