दिग्विजय सिंह नर्मदा डूब क्षेत्रों की तबाही का मंजर देख PM-CM पर हुए हमलावर
“प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन और सीएम चौहान के ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की मूर्ति के अनावरण को लेकर राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिये ओंकारेश्वर बांध में पहले पानी रोका और बाद में इस पानी का दबाव बढने पर बांध से भारी मात्रा में पानी छोडा गया। पानी छोड़ने की लिमिट 32 हजार क्यूसेक थी लेकिन 52 हजार क्युसेक पानी छोड़ा गया और इसी वजह से नर्मदा नदी में बाढ आयी और भारी तबाही हुई।”
▪︎》दिग्विजय सिंह ने कहा,》
न्यूज लीडर्स : ब्यूरो रिपोर्ट खरगोन
नर्मदा के जल को बांध से छोडे जाने का मामला जहां दिग्विजय सिंह के बयान के बाद गरमाया था, जमीनी हकीकत जानने के लिए मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बीते दिनों बड़वानी और खरगोन जिले के पीडित क्षेत्रों में पहुंचे।
दिग्विजय सिंह ने नर्मदा जल को लापरवाही से छोड़े जाने का मुद्दा उठाते हुए अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए, उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खुश करने के लिए अधिकारियों ने नियमों अनुसार डैम के गेट नहीं खोले, बल्कि अचानक नर्मदा का जल छोड़ दिया। इसकी वजह से किसानों और व्यापारियों को करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। इस दौरान दिग्विजय सिंह ने पीड़ितों के लिए मुआवजे की भी मांग की है।
मध्य प्रदेश निमाड़ क्षेत्र में बीते दिनों हुई बारिश ने जमकर कहर बरपाया। बड़वानी, कसरावद, ओंकारेश्वर और आसपास के इलाकों में सैंकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं, साथ ही फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है।
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह बाढ़ के कारण आई बर्बादी का मंजर देखने डूब प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर निकले हैं। सिंह लगातार किसानों से मिलकर उनका हाल जान रहे हैं और उन्हें कांग्रेस सरकार आने पर मदद का भरोसा दिला रहे हैं।
गुरूवार सुबह पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कसरावद रेस्ट हाउस में 22 गांवों के बाढ पीडितों ने मुलाकात की। दिग्विजय सिंह से मिलने पहुंचे सैंकड़ों की संख्या में बाढ़ प्रभावितों ने बताया कि बारिश और नर्मदा की भीषण बाढ़ से भारी नुकसान है। फसल पूरी तरह चौपट हो गयी है। लेकिन अब तक शासन प्रशासन की ओर से उन्हें किसी भी प्रकार की मदद, अथवा मुआवजा राशि नहीं मिली है।
“दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ओंकारेश्वर में कार्यक्रम होने की वजह से भी डैम के गेट खोलने को लेकर लापरवाही बरती गई”
नर्मदा के जल को बांध से छोडे जाने का मामला जहां दिग्विजय सिंह के बयान के बाद गरमाया था, उसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बीते दिनों बड़वानी और खरगोन जिले के पीडित क्षेत्रों में पहुंचे।
दिग्विजय सिंह ने नर्मदा जल को लापरवाही से छोड़े जाने का मुद्दा उठाते हुए अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए, उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खुश करने के लिए अधिकारियों ने नियमों अनुसार डैम के गेट नहीं खोले, बल्कि अचानक नर्मदा का जल छोड़ दिया। इसकी वजह से किसानों और व्यापारियों को करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। इस दौरान दिग्विजय सिंह ने पीड़ितों के लिए मुआवजे की भी मांग की है।
आपको बता दे अब बांध से नर्मदा का जल छोड़े जाने को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन होने की वजह से नर्मदा के बांध से जल नहीं छोड़ा गया। प्रधानमंत्री की जन्मदिन पर डैम लबालब भरा रहे, इसी बात को ध्यान में रखते हुए गेट नहीं खोले गए। उन्होंने आरोप लगाया कि नर्मदा में बरगी से लेकर सरदार सरोवर तक कई बांध बनाए गए जो कि नियम अनुसार बाढ़ के दौरान खोले जाते हैं।
आप को बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बुधवार देर रात करीब 3 बजे तक बड़वानी और कसरावद में डूब प्रभावित क्षेत्रों में लोगों से मिल रहे थे। डूब प्रभावित ग्रामों के लोगों में शासन-प्रशासन के विरुद्ध खासा आक्रोश देखने को मिला। लोगों ने तत्काल उचित सर्वे और राहत की मांग की। सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया कि कांग्रेस सरकार बनते ही राहत और पुनर्वास का व्यवस्था किया जाएगा।
इस दौरान पूर्व सीएम ने बाढ़ प्रभावितों को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन और सीएम चौहान के ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की मूर्ति के अनावरण को लेकर राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिये ओंकारेश्वर बांध में पहले पानी रोका और बाद में इस पानी का दबाव बढने पर बांध से भारी मात्रा में पानी छोडा गया। सिंह ने ग्रामीणों को बताया कि पानी छोड़ने की लिमिट 32 हजार क्यूसेक थी लेकिन 52 हजार क्युसेक पानी छोड़ा गया और इसी वजह से नर्मदा नदी में बाढ आयी और भारी तबाही हुई।
▪︎》》दोषी अधिकारियों पर हो कार्रवाई- दिग्विजय सिंह.》》
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ओंकारेश्वर में कार्यक्रम होने की वजह से भी डैम के गेट खोलने को लेकर लापरवाही बरती गई। उन्होंने आगे कहा कि डैम से 36000 क्यूसेक (क्यूबिक मीटर पर सेकंड) पानी छोड़ने का आदेश मिला था जबकि 50000 क्यूसेक से ज्यादा गति से जल निकाल दिया गया, जिसकी वजह से ओंकारेश्वर में व्यापारियों को जल जमाव के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा. इसी तरह बड़वानी में भी किसानों और व्यापारियों का काफी नुकसान हुआ है। दिग्विजय सिंह ने सरकार से मुआवजा मांगते हुए दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग भी कर डाली।
▪︎》》पूर्व सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच की मांग की.》》
पूर्व सीएम ने सेवानिवृत्त जज से इसकी जांच कराने की मांग की है। सिंह कहा कि इसको लेकर जिम्मेदार और दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने क्षतिग्रस्त मकानों का सभी प्रभावितों को शत प्रतिशत मुआवजा, विस्थापितों का पुनर्वास कर उन्हें भी मुआवजा, जनहानि और मवेशियों के बह जाने पर भी मुआवजा और डूब प्रभावित गांवों को पुर्नस्थापन करने की मांग की है। पूर्व सीएम ने प्रभावितों से संवाद कर फिर से सर्वे कराकर डूब प्रभावितों को वर्तमान दर से मुआवजा देने की मांग भी की है।
▪︎》》कसरावद विधानसभा के प्रभावित गांव.》》
कसरावद विधानसभा क्षेत्र में करीब डेढ़ दर्जन गांव डूब से बुरी तरह प्रभावित हुए। इनमें नवादा टोडी, बोथू, सैथा, भाटियान, लेपा, बलगांव, धालखेरा, पनवा, खलबुजुर्ग, चिचली, कठौरा ए, कठौरा बी, अकबरपुर, बड़गांव, माकड़खेड़ा, सासबढ और टीलायों शामिल है।
▪︎》》महेश्वर विधानसभा क्षेत्र के प्रभावित गांव.》》
महेश्वर विधानसभा क्षेत्र के भी एक दर्जन से अधिक गांव डूब प्रभावित हैं जहां लोगों को भारी नुकसान हुआ है। इनमें जलकोटी, महेश्वर, मंडलेश्वर, सुलगांव, जालूद, गोगावां, पथराड, चीराखंड, बेहगांव, पंड्याखाटखेड़ी, खेगांव, कावड़िया, सिटोका, निंबगुड और गंगाखेड़ी शामिल है।
▪︎》》 और अंत में.》》
गौरतलब है की अतिवृष्टि सहित बांधो के गेट खोले जाने से नर्मदा पट्टी के सटे गावों मे नर्मदा का पानी गुसा जिससे कई गांव जल मग्न हुए टापू में हुए तब्दील हो से किसानो का बड़ा नुकसान हुआ। बड़वानी जिले के ब्राह्मणगांव, ग्राम बड़दा, ग्राम धनोरा, पिछोड़ी, जगहरवा डूब प्रभावित क्षेत्रों में कांग्रेस नेताओं सहित पूर्व मंत्री बाला बच्चन, सचिन यादव जिला कांग्रेस अध्यक्ष वीरेन्द दरबार प्रभावितों के बीच पहुंचे।