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महेश्वर नर्मदा तट पर हो गया शिव सती का पुनर्मिलन, ॐ मंगलम ओंकार मंगलम की अद्वितीय प्रस्तुति

महेश्वर नर्मदा तट पर हो गया शिव सती का पुनर्मिलन, ॐ मंगलम ओंकार मंगलम की अद्वितीय प्रस्तुति

“भक्ति गायन में बरसा शिवाय रूद्राय महेश्वराय रस
भक्ति गायन में बरसा शिव भक्ति रस, ॐ मंगलम ओंकार मंगलम की नर्मदा तट पर अद्वितीय प्रस्तुति”

खरगोन : न्यूज़ लीडर्स

महाशिवरात्रि पर्व के पर महेश्वर में नर्मदा तट पर संस्कृति विभाग के उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी और स्थानीय प्रशासन द्वारा शिव सत्य कला पर आधारित कार्यक्रम आयोजित हुआ महेश्वर में पहली बार संस्कृति विभाग द्वारा महाशिवरात्रि पर ऐसा कार्यक्रम आयोजित हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत भक्ति गायन के कार्यक्रम से हुई। भक्ति गायन अनुजा एवं विनय रामदासन ने भगवान शिव की स्तुति में शास्त्रीय रागों पर आधारित सुमधुर रचनाएँ प्रस्तुत की गई। इसमें शिवाय रूद्राय महेश्वराय श्लोक पर आधारित रस ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। दोनों कलाकारों ने राग देस, मुल्तानी, हंसध्वनि, शंकरा, जोग आदि रागों पर आधारित शिव स्तुति, श्लोक रसिया एवं भक्ति से ओतप्रोत बंदिशें हारमोनियम, तबला और पखावज के मधुर संगीत की छटा की अमिट छाप छोड़ गई। हार्मोनीयम पर अपूर्व पेटकर, तबले पर पवन सेम एवं पख़ावज पर प्रखर विजयवर्गीय ने संगत की।

इसके बाद वो प्रस्तुति हुई जिसको महेश्वर निवासी बरसों तक याद रखेंगे। यह अद्भुत प्रस्तुति बैंगलोर की पुण्य डांस कंपनी के द्वारा दी गई। समूह नृत्य नाट्य प्रस्तुति में भरतनाट्यम की अद्भुत नाट्य शैली में श्री हरिहरा कवि के गिरजा कल्याण महाकाव्य पर आधरित रही। इस प्रस्तुति में शिव-सती के मिलन और पुनर्मिलन से दर्शकों के साक्षात हुए। प्रस्तुति में महादेव जब अपनी प्रिय सती को दक्ष के महायज्ञ में खो देते है तब शिव महांकाल बन जाते है। इसके बाद महांकाल की जटा से वीरभद्र प्रकट होकर दक्ष के यज्ञ को तांडव नृत्य से तहस नहस कर देते है। काम क्रोध आदि नश्वर गुणों के स्वरूप कामदेव को महादेव अपने त्रिनेत्र से भष्म कर देते है। इस नृत्य के दौरान शिव तांडव के समय घनघोर बादलों की गड़गड़ाहट और आकाश की गर्जना के बाद पानी की बूंदों का अद्भुत स्पर्श का अहसास हुआ।

देखिये वीडियो, शानदार प्रस्तुति

महाशिवरात्रि के इस कार्यक्रम में और भी भक्ति रख बरसा। जिसमें शिव भक्ति के भक्त सराबोर होते रहे। अब बारी थी भक्ति संगीत के सम्राट गायक हेमंत चौहान की। उन्होंने अपनी प्रारंभिक प्रस्तुति ॐ मंगलम ओंकार मंगलम से प्रारम्भ की। इसके बाद एक के बाद भक्ति संगीत की स्वरलहरियां माँ नर्मदा किनारे बरसती रही। इस दौरान उस्ताद अलाउदीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी के निदेशक श्री जयंत माशव भिसे, मंडलेश्वर एसडीएम दिव्या पटेल,कसरावद एसडीएम संघप्रिय, एसडीओपी श्री डीआरएस चौहान,तहसीलदार मुकेश बामनिया उपस्थित रहे।

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