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NEWS Leaders : चिंतन में सुनी कांग्रेस ने “भारत जोड़ो” की अनुगूंज, कश्मीर से कन्याकुमारी तक राहुल करेंगे यात्रा, अहम फैसलों के साथ समापन

चिंतन में सुनी कांग्रेस ने “भारत जोड़ो” की अनुगूंज, कश्मीर से कन्याकुमारी तक राहुल करेंगे यात्रा, अहम फैसलों के साथ समापन

न्यूज़ लीडर्स डेस्क

कांग्रेस का ‘नव संकल्प शिविर’ का राजस्थान के उदयपुर में हुआ समापन, इस चिंतन शिविर में कांग्रेसजनों को सुनाई दी “भारत जोड़ो” की अनुगूंज, और कश्मीर से कन्याकुमारी तक राहुल गांधी करेंगे यात्रा, शिविर में संगठनात्मक स्तर पर कई अहम फैसलें लिए गए।

▪︎राहुल गांधी की कश्मीर से कन्याकुमारी तक ‘भारत जोड़ो’ यात्रा.》

राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस के तीन दिवसीय ‘नव संकल्प शिविर’ में किये चिंतन में कांग्रेसजनों को एक नई अनुगूंज सुनाई दी, ‘भारत जोड़ो-भारत जोड़ो’

कांग्रेस का मानना है की यकीनन देश इसकी जरूरत महसूस कर रहा है। इसी को दृष्ष्टिगत रखते हुए राहुल गांधी कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा करेंगे। राहुल गांधी की यह यात्रा बस, ट्रैन और अधिकतर पैदल होगी।

“कांग्रेस इस शिविर के जरिये लगातार यह प्रयास कर रही है कि इस मंथन के बाद पार्टी को मजबूत किया जाए और भाजपा को कड़ी चुनौती दी जाए।”

देश जानता है कि सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही हिंदुस्तान को आगे बढ़ा सकती है।
मैं इन देश विरोधी शक्तियों से नहीं डरता। ये देश के भविष्य की लड़ाई है, मैं ज़िन्दगी भर आपके साथ ये लड़ाई लडूंगा। कांग्रेस पार्टी सड़क पर लड़ेगी।

▪︎कांग्रेस राहुल के भरोसे आगे बढ़ेगी, फैसलों पर दिखा असर.》

इस शिविर में एक बात साफ हो गई है की आने वाले वक्त में कांग्रेस का नेतृत्व राहुल गांधी के हाथों में आने वाला है। वहीं शिविर के अंतिम दिन कई अहम फैसले लिए गए। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में 20 प्रस्ताव पास हुऐ। जिन पर राहुल गांधी का असर देखा गया है।

एक परिवार-एक टिकट जैसे बड़े फैसले इस चिंतन शिविर में किए गए। लेकिन बड़ा सवाल ये है पार्टी अपनी समस्याओं को लेकर कुछ आगे बढ़ी है या वहीं खड़ी है जहां थी?

“राहुल भले ही फ्रंट फुट पर बैटिंग नहीं कर रहे हों लेकिन जिस तरह से युवा शक्ति को तवज्जो दी गई है और एक परिवार-एक पद-एक टिकट का फार्मूला लागू किया गया है, उससे तो यही लगता है कि बल्ला राहुल का ही चला है”

▪︎कांग्रेस ने संकल्पित होकर लिए अहम फैसले.》

इस शिविर में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिसमें एक परिवार-एक टिकट का फॉर्मूला सबसे अधिक ध्यानाकर्षित करने वाला है। शिविर में लिए निर्णय को बिन्दूवार जानिये,

• पार्टी में अब एक परिवार-एक पद-एक टिकट फॉर्मूला चलेगा, लेकिन परिवार में दूसरे को तभी टिकट मिलेगा जब वो पांच साल पार्टी के लिए काम कर चुका होगा।
• पांच साल से अधिक एक व्यक्ति एक पद पर नहीं रहेगा।
• संगठन में हर स्तर पर पचास प्रतिशत सीटें पचास वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए रिजर्व रहेंगी।
• पार्टी कांग्रेस में सुधारों के लिए एक टास्क फोर्स बनाएगी।
• CWC के कुछ सदस्यों को लेकर पार्टी एक सलाहकार समिति बनाएगी जो चुनौतियों को लेकर सलाह देगी।
• पार्टी में तीन नए विभाग बनेंगे-चुनाव प्रबंधन, ट्रेनिंग और जनता से फीडबैक।
• पार्टी अक्टूबर में कन्याकुमारी से कश्मीर तक पदयात्रा करेगी।

▪︎फैसलों के पिछे छुपे सच का रहस्य क्या है.》

इस चिंतन शिविर में बड़े बदलावों की उम्मीद थी, लेकिन
निश्चित तौर पर शिविर में कुछ बड़े फैसले किए गए हैं, जिसका आगे असर हो सकता है।
• संगठन में 50% सीटें ‘युवको’ के लिए  करना पार्टी में युवा ऊर्जा फूंक सकता है।
• पार्टी पर परिवारवाद का बीजेपी आरोप लगाती आई है, शायद पार्टी ने एक परिवार-एक पद-एक टिकट का फैसला कर उसका जवाब देने की कोशिश की है।
• टास्क फोर्स और सलाहकार समिति में किन नेताओं को लिया जाता है वो साफ करेगा कि G23 के ‘बागियों’ की कितनी सुनी गई।
• बीजेपी और आरएसएस की ”बांटो नीति” के जवाब में कांग्रेस ”भारत जोड़ो अभियान” चलाएगी।
• बड़े जमाने से पार्टी ने कोई राष्ट्रव्यापी आंदोलन नहीं किया, आंदोलन न सही पदयात्रा इस लिहाज से जनता से जुड़ने का मौका हो सकता है।

“कांग्रेस ने कड़े शब्दों में बीजेपी-आरएसएस द्वारा देश में सांप्रदायिक विभाजन फैलाने के एजेंडा की निंदा की, कांग्रेस ने कहा कि वह धर्म, भाषा, जाति, रंग और क्षेत्र के आधार पर अल्पसंख्यकों, गरीबों, वंचितों को निशाना बनाकर वोट बटोरने की राजनीति का खंडन करती है”

▪︎यक्ष प्रश्न ! राहुल गांधी अध्यक्ष कब बनेंगे ?.》

कांग्रेसजनों के लिए बना यक्षप्रश्न की राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष कब बनेंगे? की चर्चा भी कुछ कांग्रेस नेताओं ने शिविर में उठाई थी। उसमें यह बात सामने आई है की कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है।

यह चुनाव अगस्त में किया जाएगा। जिसमें राहुल गांधी की विधिवत ताजपोशी की जायेगी। उसी के बाद कश्मीर से कन्याकुमारी तक “भारत जोड़ों” यात्रा भी निकाली जायेगी, जिसे 2024 को होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

▪︎और अंत में.》

इस शिविर का निष्कर्ष यह निकला है की कांग्रेस ने फिर से अपने गौरवशाली इतिहास को याद किया, कांग्रेस सरकार के प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल का यशोगान कर भविष्य की रणनीति बनाई, वहीं मोदी सरकार को कटघेरे में भी खड़ा किया है।

लेकिन यह हल अभी जनता के सामने आना बाकी है की, चुनावों में गांधी परिवार के तीनों सदस्य अच्छी खासी भीड़ खिंचने में कामयाब होने के बाद चुनावी परिणामों में क्यों पिछड़ जाते है, एक बड़ा सवाल है ?

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