Newsleaders : सिंगरौली PESA विवाद ! सरकार के विरोधाभासी बयान पर कांग्रेस MLAs का हंगामा, सदन से वॉकआउटसिंगरौली में 6 लाख पेड़ों की कटाई पर विधानसभा में विपक्ष का हंगामा, सवाल का जवाब नहीं दे पाए वन मंत्रीसिंगरौली में छह लाख पेड़ों की कटाई को लेकर विधानसभा में भारी हंगामा हुआ। कांग्रेस ने मौजूदा सरकार पर अवैध कटाई और आदिवासी अधिकारों के हनन का आरोप लगाया, जवाब से असंतुष्ट होकर विधायकों ने वॉकआउट किया

सिंगरौली में 6 लाख पेड़ों की कटाई पर विधानसभा में विपक्ष का हंगामा, सवाल का जवाब नहीं दे पाए वन मंत्री
Newsleaders : सिंगरौली PESA विवाद ! सरकार के विरोधाभासी बयान पर कांग्रेस MLAs का हंगामा, सदन से वॉकआउट
न्यूज लीडर्स : भोपाल
सिंगरौली में 6 लाख पेड़ों की कटाई पर विधानसभा में विपक्ष का हंगामा, सवाल का जवाब नहीं दे पाए वन मंत्री
सिंगरौली में PESA एक्ट को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद, सदन के अंदर सरकार के विरोधाभासी बयान से बहस तेज हो गई। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार खुद अपने ही आदेश से पीछे हट रही है। मंत्री जवाब देने से बचते दिखे और अंततः कांग्रेस ने वॉकआउट कर दिया।
●》PESA क्या है? और सिंगरौली में इसका महत्व क्यों?.》》
PESA एक्ट आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष अधिकार देता है—भूमि अधिग्रहण हो, खनन परियोजना हो या वन संसाधन, गाँव की अनुमति अनिवार्य होती है। सिंगरौली ऐसा जिला है जहां बड़े पैमाने पर कोयला खनन, ऊर्जा परियोजनाएँ और औद्योगिक विस्तार जारी है। इसलिए PESA की स्थिति यहाँ बेहद संवेदनशील मानी जाती है।
●》2023 का सरकारी तथ्य.》》
सरकार ने खुद कहा था– सिंगरौली PESA के दायरे में है, अगस्त 2023 में मध्यप्रदेश सरकार ने एक आधिकारिक स्पष्टिकरण जारी किया था। सिंगरौली के कई ब्लॉक पांचवी अनुसूची क्षेत्र हैं। PESA नियम यहाँ लागू होते हैं। ग्राम सभा की सहमति अनिवार्य है यानी सरकार का स्पष्ट रुख था—सिंगरौली PESA के दायरे में आता है।
●》सदन में मंत्री का बयान विवाद की वजह.》》
लेकिन सदन में संसदीय कार्य मंत्री ने दावा किया कि “सिंगरौली ब्लॉक PESA क्षेत्र नहीं है” यहीं से विवाद शुरू हुआ। कांग्रेस ने तुरंत अगस्त 2023 का वही सरकारी आदेश सामने रख दिया।
●》विपक्ष का आरोप.》》
कांग्रेस का आरोप है कि,
• सरकार सदन में गलत जानकारी दे रही है
• मंत्रालयों के बीच तालमेल नहीं
• PESA जैसे संवैधानिक अधिकारों को कमजोर किया जा रहा है
वन मंत्री से जब स्पष्ट उत्तर पूछा गया तो उन्होंने जवाब देने से बचने की कोशिश की कहा,
“रिकॉर्ड देखकर बताया जाएगा, जानकारी उपलब्ध कराएंगे…”

●》PESA लागू होने पर क्या बदलता है?》》
PESA लागू क्षेत्र में ग्राम सभा को मिलते हैं ये अधिकार:
• भूमि अधिग्रहण पर अंतिम सहमति
• खनन व औद्योगिक परियोजनाओं पर निर्णय
• विस्थापन व पुनर्वास की प्राथमिक अनुमति
• वन और खनिज संसाधनों का नियंत्रण
इसका सीधा असर सिंगरौली जैसे क्षेत्रों पर पड़ता है, जहां कई राष्ट्रीय स्तर की पावर व कोल परियोजनाएँ चल रही हैं।
●》कांग्रेस का वॉकआउट.》》
जब सरकार की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला, तो कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट करते हुए कहा,
“सरकार खुद के ही जारी आदेश से इनकार कर रही है। PESA पर गलत जानकारी देना जनजातीय अधिकारों का अपमान है।”

विवाद बढ़ता जा रहा है। एक तरफ सरकार के पुराने लिखित दस्तावेज़, दूसरी तरफ मौजूदा विरोधाभासी बयान। सिंगरौली जैसे संवेदनशील क्षेत्र में PESA की स्थिति सिर्फ कानून नहीं, बल्कि हजारों ग्रामीणों के अधिकारों से जुड़ा मामला है। अब निगाहें इस बात पर हैं कि सरकार इस मुद्दे पर कितना साफ और तथ्यपरक रुख लेकर आती है। न्यूज़ लीडर्स की भोपाल से विशेष रिपोर्ट।




